परिचय
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव भी है। दिवाली का मतलब ‘दीयों की पंक्ति’ होता है, और इस पर्व पर लोग अपने घरों, आँगनों और मार्गों को दीपों से सजाते हैं। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

दिवाली का इतिहास और पौराणिक कथा
दिवाली के साथ कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान राम की अयोध्या वापसी से संबंधित है। भगवान राम ने 14 वर्षों का वनवास और राक्षस राजा रावण का वध करने के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर और पूरे नगर को सजाकर उनका स्वागत किया। यह दिन कार्तिक मास की अमावस्या का था और तभी से यह परंपरा चल पड़ी।
एक अन्य कथा के अनुसार, यह त्योहार भगवान विष्णु के वामन अवतार और राजा बलि के संबंध में मनाया जाता है। इसके अलावा, दिवाली को देवी लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जो समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थीं।
दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली का धार्मिक महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है, लेकिन इसे जैन, सिख और बौद्ध धर्मों के अनुयायियों द्वारा भी मनाया जाता है।
- हिंदू धर्म: हिंदू धर्म में दिवाली भगवान राम की वापसी के साथ जुड़ी हुई है। इसके अलावा, यह दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिन्हें धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। लोग इस दिन लक्ष्मी पूजन करते हैं और अपने घरों में दीप जलाते हैं ताकि देवी लक्ष्मी का आगमन हो सके।
- जैन धर्म: जैन धर्म में दिवाली का दिन भगवान महावीर के मोक्ष प्राप्त करने का दिन माना जाता है। इसे ‘महावीर निर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। जैन धर्म के अनुयायी इस दिन भगवान महावीर की पूजा और ध्यान करते हैं।
- सिख धर्म: सिख धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है। इस दिन को ‘बंदी छोड़ दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी की कारावास से रिहाई का प्रतीक है।
दिवाली की तैयारी
दिवाली की तैयारी कई हफ्तों पहले ही शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों की सफाई, पेंटिंग, और सजावट करते हैं। नए कपड़े, मिठाइयाँ, और उपहार खरीदे जाते हैं। बाजारों में रौनक और चमक-दमक होती है। हर तरफ रोशनी और खुशी का माहौल होता है।
- सफाई और सजावट: माना जाता है कि लक्ष्मी देवी स्वच्छ और सुंदर स्थानों पर ही वास करती हैं, इसलिए लोग दिवाली से पहले अपने घरों की अच्छे से सफाई करते हैं। रंगोली बनाई जाती है और घरों को दीयों और बिजली की लड़ियों से सजाया जाता है।
- शॉपिंग और उपहार: दिवाली के समय खरीदारी का एक विशेष महत्व है। लोग इस दौरान नए कपड़े, गहने, और घर की सजावट के सामान खरीदते हैं। मिठाइयाँ और उपहार देने का भी चलन है। यह परंपरा रिश्तों को मजबूत बनाने का एक तरीका है।
- पकवान और मिठाइयाँ: दिवाली के मौके पर विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। लड्डू, बर्फी, चकली, शंकरपाले, करंजी आदि लोकप्रिय मिठाइयाँ और स्नैक्स हैं जो इस दौरान बनते और बांटे जाते हैं।
दिवाली के दिन का महत्व
दिवाली का पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है, जिनमें से हर दिन का अपना विशेष महत्व है।
- धनतेरस: इस दिन को धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। लोग इस दिन सोने, चाँदी, और बर्तनों की खरीदारी करते हैं। यह दिन स्वास्थ्य और धन की देवी धन्वंतरि की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है।
- नरक चतुर्दशी: इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। यह दिन नरकासुर राक्षस के वध का प्रतीक है। इस दिन लोग स्नान कर अपने शरीर को साफ करते हैं और बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए दीये जलाते हैं।
- लक्ष्मी पूजा: दिवाली के मुख्य दिन को लक्ष्मी पूजन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए दीये जलाए जाते हैं। यह दिन समृद्धि और खुशहाली के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
- गोवर्धन पूजा: इसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा है। लोग इस दिन अपने पशुधन की पूजा करते हैं और गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक पूजा करते हैं।
- भाई दूज: यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, और भाई उन्हें उपहार देते हैं।
धनतेरस
1. धनतेरस, दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत का पहला दिन है और इसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। यह पर्व कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। ‘धन’ का मतलब धन-संपत्ति होता है और ‘तेरस’ का मतलब तेरहवां दिन होता है।
2. धनतेरस के दिन धन और स्वास्थ्य की देवी धन्वंतरि की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान धन्वंतरि भगवान अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन को स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए शुभ माना जाता है।
3. धनतेरस पर लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और नए बर्तन, सोने-चाँदी के आभूषण, और अन्य कीमती सामान खरीदते हैं। यह माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई चीजें घर में समृद्धि और सौभाग्य लाती हैं।
4. इसके अलावा, धनतेरस के दिन घर के मुख्य द्वार पर दीये जलाए जाते हैं और रंगोली बनाई जाती है। परिवार के सदस्य मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं और अपने घर में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
5. धनतेरस के दिन की गई खरीदारी और पूजा-अर्चना परिवार में खुशहाली और स्वास्थ्य के प्रतीक मानी जाती है, और इस दिन का महत्व हर साल बढ़ता ही जाता है।
नरक चतुर्दशी: छोटी दिवाली की रौनक
नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था, जिससे 16,100 महिलाओं को मुक्त किया था। इस पर्व पर लोग सूर्योदय से पहले उबटन लगाकर स्नान करते हैं, जिसे ‘अभ्यंग स्नान’ कहते हैं, और अपने शरीर को शुद्ध करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पापों का नाश होता है और स्वास्थ्य लाभ होता है। इस दिन दीये जलाए जाते हैं और घरों को सजाया जाता है, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
लक्ष्मी पूजा: समृद्धि और खुशहाली का दिन
लक्ष्मी पूजा दिवाली के मुख्य दिन पर की जाती है, जो धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की आराधना का पर्व है। इस दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा कर दीपों और रंगोली से सजाते हैं। लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए पूजा स्थल पर देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर धूप, दीप, फूल, और मिठाइयों के साथ लक्ष्मी जी की विधिवत पूजा करते हैं। यह माना जाता है कि लक्ष्मी पूजा से घर में धन, सुख, और समृद्धि आती है और पूरे साल खुशहाली बनी रहती है।
गोवर्धन पूजा: प्रकृति और पशुधन की आराधना
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं, दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों को इंद्र देव की भारी वर्षा से बचाने की कथा से जुड़ा है। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक पूजा करते हैं, आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाते हैं और दीप जलाते हैं। भगवान कृष्ण को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाकर अन्नकूट तैयार किया जाता है। इस पूजा के माध्यम से कृषि, पशुधन और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है, जो हमारी आजीविका का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
भाई दूज: भाई-बहन के अटूट रिश्ते का पर्व
भाई दूज दिवाली के बाद मनाया जाने वाला पर्व है, जो भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वे भाइयों को तिलक लगाकर आरती उतारती हैं और मिठाई खिलाती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी सुरक्षा का वचन देते हैं। इस पर्व का महत्व भाई-बहन के प्रेम और सहयोग को बढ़ावा देना है। भाई दूज का त्योहार परिवार में खुशियाँ और आपसी समझ बढ़ाने का प्रतीक है।
दिवाली के पकवान और मिठाइयाँ
दिवाली के मौके पर विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवान और मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। इनमें लड्डू, बर्फी, गुलाब जामुन, जलेबी, करंजी, चकली, शंकरपाले, और नमकीन शामिल हैं। ये मिठाइयाँ और पकवान त्योहार की मिठास और खुशी बढ़ाते हैं। परिवार के सदस्य मिलकर इन स्वादिष्ट व्यंजनों को तैयार करते हैं और एक-दूसरे को बांटते हैं। दिवाली के पकवान न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि इनसे परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने और खुशियाँ साझा करने का अवसर भी मिलता है। ये पकवान दिवाली की उत्सवधर्मिता और पारंपरिक संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
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दिवाली से संबंधित 10 सामान्य प्रश्न (FAQs) और उनके उत्तर:
1. दिवाली का क्या महत्व है?
उत्तर- दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय, अज्ञानता पर ज्ञान की विजय और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है।
2. दिवाली की तिथियाँ कैसे निर्धारित की जाती हैं?
उत्तर- दिवाली हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। यह आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ती है।
3. दिवाली के प्रमुख रीति-रिवाज क्या हैं?
उत्तर- दिवाली के दौरान लक्ष्मी पूजा, गणेश पूजा, घर की सफाई, रंगोली बनाना, दीप जलाना, पटाखे फोड़ना और मिठाइयाँ बाँटना जैसे प्रमुख रीति-रिवाज होते हैं।
4. दिवाली पर घर को कैसे सजाया जाता है?
उत्तर- दिवाली पर घर को दीयों, मोमबत्तियों, रंगोली, फूलों, और लाइटिंग से सजाया जाता है। लोग अपने घरों के बाहर रंगोली बनाते हैं और पूरे घर को साफ-सुथरा रखते हैं।
5. दिवाली पर कौन-कौन से पकवान बनाए जाते हैं?
उत्तर- दिवाली पर विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ जैसे लड्डू, बर्फी, गुलाब जामुन, और स्नैक्स जैसे नमकपारे, चकली, और कचौड़ी बनाए जाते हैं।
6. दिवाली के दौरान सुरक्षा के उपाय क्या हैं?
उत्तर: पटाखे जलाते समय हमेशा बाल्टी में पानी रखें, बच्चों को पटाखे जलाने के लिए अकेला न छोड़ें, सूती कपड़े पहनें, और पटाखों को खुले स्थान पर जलाएँ। दीयों और मोमबत्तियों को सुरक्षित स्थान पर रखें।
7. दिवाली पर उपहार देने के लिए क्या विकल्प हैं?
उत्तर: दिवाली पर मिठाइयाँ, सूखे मेवे, सजावटी वस्तुएँ, इलेक्ट्रॉनिक गिफ्ट्स, कपड़े, और घर की सजावट के आइटम उपहार में दिए जा सकते हैं। इस साल पर्यावरण के अनुकूल और व्यक्तिगत (customized) उपहार भी लोकप्रिय हैं।
8. पर्यावरण के अनुकूल दिवाली कैसे मनाई जा सकती है?
उत्तर: पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाने के लिए कम ध्वनि और प्रदूषण वाले पटाखों का उपयोग करें, दीयों और मोमबत्तियों के बजाय एलईडी लाइट्स का उपयोग करें, और जैविक रंगों से रंगोली बनाएं।
9. दिवाली के दौरान यात्रा करने के सुझाव क्या हैं?
उत्तर: दिवाली के दौरान यात्रा करते समय अग्रिम बुकिंग कराएँ, भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें, और अपने साथ आवश्यक वस्त्र और दवाएँ रखें। प्रसिद्ध स्थानों जैसे जयपुर, वाराणसी, और अमृतसर में दिवाली के समय यात्रा का आनंद लिया जा सकता है।
10. दिवाली पर लक्ष्मी पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर- लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे पहले घर की सफाई करें, एक साफ स्थान पर पूजा की थाली तैयार करें जिसमें दीया, कुमकुम, हल्दी, चावल, फूल, मिठाई, और सिक्के रखें। लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों को स्थापित करें और पूजा विधि के अनुसार मंत्रों का उच्चारण कर पूजा करें।